गाँव की मिट्टी की खुशबू, बचपन की यादें और खेतों की हरियाली हमेशा दिल को सुकून देती है। शहर की भीड़ और शोर-शराबे में रहते हुए जब भी गाँव की याद आती है तो मन एक अलग ही सुकून ढूँढने लगता है। गाँव सिर्फ़ ज़मीन और खेतों का नाम नहीं, बल्कि अपनापन, रिश्तों की गर्माहट और सच्चे सुख का ठिकाना है।
इसी एहसास को अल्फ़ाज़ों में पिरोकर हम लाए हैं गाँव की याद शायरी, जो आपको अपने बचपन, अपनों और उस मिट्टी की याद दिला देगी जहाँ से हमारी जड़ें जुड़ी हुई हैं। ये शायरियाँ पढ़कर न सिर्फ़ आपका दिल भर आएगा, बल्कि आपको गाँव की सादगी और प्यार फिर से जीने का अहसास होगा।
गाँव की याद शायरी
धूप कितनी भी तेज़ हो,
गाँव की छांव हमेशा ठंडी लगती है।
शहर की चकाचौंध आँखें चौंधिया देती है,
पर गाँव की सादगी दिल को सुकून देती है।
गाँव का तालाब, वो मिट्टी की खुशबू,
आज भी दिल को बचपन की सैर करवाती है।
खेतों की हरियाली में जो सुकून है,
वो शहर की इमारतों में कहीं नहीं है।
शहर में मकान हैं, पर घर नहीं,
गाँव में झोंपड़ी है, पर अपना अहसास है।
गाँव के मेले की वो रौनक,
आज भी सबसे रंगीन याद है।
शहर की नौकरी भले जेब भर देती है,
पर गाँव की मिट्टी आत्मा भर देती है।
गाँव के रास्तों की धूल,
शहर की सड़कों से कहीं ज्यादा कीमती है।
गाँव की चौपाल पर बैठना,
हज़ार कैफ़े घूमने से भी बेहतर है।
गाँव की हंसी में अपनापन है,
शहर की भीड़ में बस अकेलापन है।
वो बैल गाड़ियों की खटखट,
आज भी कानों में मीठी लगती है।
गाँव का पानी, चाहे कुएँ का हो या तालाब का,
दिल को हमेशा ठंडक पहुंचाता है।
गाँव के त्योहार सादगी से भरे होते हैं,
पर उनकी रौनक शहर की पार्टियों से बड़ी होती है।
गाँव की मिट्टी में गिरकर भी चोट कम लगती थी,
शहर की ऊंचाई से गिरकर इंसान टूट जाता है।
गाँव का हर कोना याद दिलाता है,
कि असली ज़िन्दगी वहीं बसती है, जहाँ अपना गाँव है।
गाँव की याद शायरी 2 लाइन
गाँव की मिट्टी में जो खुशबू है,
वो शहर के इत्र में कहाँ मिलती है।
गाँव की चौपाल पर बैठकर बातें करना,
शहर के शोर से कहीं ज्यादा अच्छा लगता है।
खेतों की मेड़ पर खेला बचपन,
आज भी दिल के आँगन में हंसता है।
गाँव का हर त्यौहार एक साथ मनता है,
शहर में तो लोग एक-दूसरे को जानते भी नहीं।
गाँव की रातें चाँदनी से जगमगाती हैं,
शहर की रातें बस रोशनी में खो जाती हैं।
कुएँ का ठंडा पानी पिया हो जिसने,
वो बोतल के पानी में सुकून कहाँ पाएगा।
गाँव का आँगन छोटा सही,
पर उसमें रिश्तों का पूरा संसार बसता है।
गाँव के लोग दिल से मिलते हैं,
शहर में तो सिर्फ औपचारिकता होती है।
गाँव की हवाएँ दिल को छू जाती हैं,
शहर की हवा बस थका देती है।
गाँव की पगडंडियों पर चलना,
शहर की सड़कों से कहीं आसान लगता है।
गाँव का मंदिर घंटियों से गूंजता है,
शहर का मंदिर भीड़ से भरता है।
गाँव की छोटी-सी होली हो या दिवाली,
उसमें पूरे दिल का उजाला छुपा होता है।
गाँव का हर मौसम अपनापन लाता है,
शहर का मौसम बस कागज़ी सा लगता है।
गाँव के मेले में जो मिठास है,
वो मॉल की भीड़ में कहाँ मिल पाती है।
शहर चाहे जितना भी बड़ा क्यों न हो,
दिल हमेशा गाँव की चौखट पर लौट आता है।
Village Quotes in Hindi
शहर की ऊँची-ऊँची इमारतें बहुत देखीं,
पर असली ऊँचाई तो गाँव की मिट्टी में है।
जब भी शहर की भीड़ में घुटन होने लगे,
गाँव की खुली हवाएँ याद आ जाती हैं।
गाँव की मिट्टी से सना वो बचपन,
आज भी सपनों में मुस्कुरा जाता है।
गाँव का छोटा-सा तालाब,
शहर के बड़े-बड़े स्विमिंग पूल से प्यारा लगता है।
जहाँ हर घर के दरवाज़े खुले रहते थे,
वो अपनापन अब किसी शहर में नहीं मिलता।
गाँव के मेले की एक जलेबी,
शहर के महंगे पकवानों पर भारी पड़ती है।
बरगद की छांव में बैठने का सुकून,
एसी की ठंडी हवा में कहाँ मिलेगा।
शहर सोने का दे सकता है,
पर मिट्टी की वो खुशबू सिर्फ गाँव में मिलती है।
गाँव का त्यौहार सबको जोड़ता है,
शहर का त्यौहार बस तस्वीरों तक सिमट जाता है।
जब भी थक जाता हूँ दुनिया की दौड़ से,
मन गाँव की चौपाल पर लौट जाना चाहता है।
गाँव की गलियों में जो अपनापन है,
वो किसी भी देश की सड़कों में नहीं मिलेगा।
शहर ने रफ़्तार दी है,
पर गाँव ने जीने का असली मतलब दिया है।
गाँव की बोली में मिठास है,
शहर की ज़ुबान में बस औपचारिकता है।
माँ का बुलावा हो या खेत की खुशबू,
गाँव हमेशा दिल के सबसे पास रहता है।
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गाँव की मिट्टी शायरी
मिट्टी की खुशबू अब भी रगों में बसती है,
शहर में रहते हुए भी साँसें गाँव तलाशती हैं।
बरगद की छाँव तले जो चैन मिलता था,
वो शहर की रोशनियों में कभी नहीं मिलता।
गली के नुक्कड़ पर बजती ढोलक की आवाज़,
आज भी नींद में पुराने सपनों को जगा देती है।
जिस चौपाल पे बैठकर हमने किस्से सुने थे,
आज वही चौपाल खामोशी से हमारा इंतज़ार करती है।
शहर ने रफ़्तार दी है, मगर सुकून छीन लिया,
गाँव ने सिखाया था जीना, वो हुनर कहीं खो गया।
बचपन की वो मिट्टी, जिसमें पैर धँस जाते थे,
आज भी दिल उसी ज़मीन पर खेलना चाहता है।
पक्की सड़कों ने रास्ते आसान कर दिए,
पर गाँव के कच्चे रास्तों का मज़ा चुरा लिया।
शहर के मकानों में दीवारें ऊँची हो गईं,
पर गाँव के घरों की चौखटों पर दिल झुका करता था।
माँ की आवाज़ और बैल की घंटियों की झंकार,
आज भी शहर की भागदौड़ से बेहतर लगती है।
जब भी कोई गाँव से ख़बर लाता है,
ऐसा लगता है जैसे किसी ने दिल पे मरहम रख दिया हो।
गांव का प्यार शायरी
गाँव की मिट्टी में लिपटी दुआएँ ऐसी हैं,
जो हर बार शहर की धूल झाड़ देती हैं।
बरगद के नीचे बैठना, मानो किताब पढ़ना,
जहाँ हर पत्ता एक किस्सा सुनाता है।
गाँव के कच्चे घर की दीवारें टूटी होंगी,
मगर उनके अंदर अब भी रिश्ते जिंदा हैं।
चौपाल की खामोशी में भी एक शोर है,
जो शहर की भीड़ में कहीं सुनाई नहीं देता।
शहर की चकाचौंध ने आँखें चौंधिया दी हैं,
पर दिल अब भी लालटेन की लौ तलाशता है।
नहर का पानी छूते ही हाथ ठहर जाते थे,
आज नलों का पानी भी अजनबी सा लगता है।
गाँव का त्योहार पूरा गाँव मना लेता है,
शहर का त्योहार दीवारों तक सिमट जाता है।
जहाँ कोई नाम नहीं पूछता, सब पहचान लेते हैं,
वो जगह सिर्फ़ गाँव का दरवाज़ा होता है।
गली की धूल भी कितनी मोहब्बत देती थी,
शहर की सड़कों पर बस जूते घिसते हैं।
गाँव के आसमान में तारे कुछ और ही थे,
शहर की छत पर चाँद भी अकेला लगता है।
भूख मिटाती थी गाँव की रोटियाँ मिट्टी की खुशबू से,
शहर की थालियाँ सजकर भी अधूरी लगती हैं।
खेत की पगडंडियाँ किसी किताब से कम नहीं,
हर मोड़ पर एक नया किस्सा लिखा मिलता है।
शहर ने हमें वक्त का गुलाम बना दिया,
गाँव ने सिखाया था वक्त से दोस्ती करना।
गाँव के कुएँ का पानी पिया नहीं जाता था,
वो तो पीते-पीते अपनापन समा जाता था।
शहर में हमसफ़र मिल जाते हैं कई,
पर गाँव में पड़ोसी ही रिश्तेदार बन जाते हैं।
गांव की सुंदरता पर शायरी
गाँव की गलियों में अब भी वो मासूमियत है,
जहाँ हर मुस्कान बिना वजह की मोहब्बत है।
नदी के किनारे की ठंडी हवा,
शहर के ए.सी. से कहीं ज्यादा सुकून देती है।
गाँव की सुबह में परिंदों का गान है,
यही तो असली अलार्म घड़ी की पहचान है।
कच्चे आँगन में खेलते बच्चे,
वहीं से शुरू होती है जिंदगी की सच्ची खुशी।
गाँव की रात में तारे इतने पास लगते हैं,
जैसे आसमान छू लो तो हाथ में भर जाएं।
गाँव की मिट्टी की खुशबू ऐसी है,
जो हर बार लौटने पर सीने से लिपट जाती है।
पगडंडियों पर चलने का जो मज़ा है,
वो शहर की चौड़ी सड़कों पर कहाँ।
बरगद की छांव में बैठना अब भी याद आता है,
जहाँ कहानियों से ज्यादा अपनापन मिलता था।
गाँव की हवाओं में एक अलग ही मिठास है,
जो हर सांस में अपनेपन का एहसास है।
शहर कितना भी रौशन हो जाए,
पर गाँव का चाँद ही सबसे खूबसूरत लगता है।
गांव की हरियाली पर शायरी
गाँव की हरियाली में ऐसा जादू है,
थकी हुई रूह भी पल में ताज़ा हो जाती है।
हरी-हरी फसलें जब हवा संग लहराती हैं,
तो लगता है जैसे धरती माँ मुस्कुराती है।
गाँव का हर पेड़, हर पत्ता,
जीवन का सबसे हसीन आईना है।
जहाँ खेतों की मेड़ों पर घास उगती है,
वहीं इंसानों के दिलों में मोहब्बत खिलती है।
गाँव की हरियाली सिर्फ आँखों को नहीं,
मन और आत्मा को भी ठंडक देती है।
जब हल्की बारिश मिट्टी को भिगो देती है,
तो हरियाली की खुशबू साँसों में उतर जाती है।
हरी-भरी वादियाँ और खेतों की छाँव,
यही तो है गाँव की असली पहचान।
शहर में चमक-दमक भले हो जाए,
पर हरियाली का सुख बस गाँव में मिल पाए।
गाँव के पेड़ जब झूमकर गाते हैं,
तो लगता है हवाएँ भी गीत सुनाती हैं।
हरी दूब पर नंगे पाँव चलना,
जैसे खुदा की रहमत को छू लेना।
गाँव की हरियाली में बचपन छुपा है,
जहाँ दौड़ते-खेलते हर ग़म भुला है।
हरे भरे खेतों को देखकर समझ आता है,
कि मेहनत से उगाया हर दाना अमृत कहलाता है।
गाँव की हरियाली में जो सुकून है,
वो बड़े से बड़ा महल भी नहीं दे सकता।
पेड़ों की ठंडी छांव और खेतों की रौनक,
यही तो है ज़िंदगी की सबसे बड़ी दौलत।
गाँव की हरियाली आँखों का नूर है,
और दिल का सबसे प्यारा सुकून है।
गांव की सुबह शायरी
गाँव की सुबह में पंछियों का गीत है,
यहीं तो असली सुकून और प्रीत है।
हरे-भरे खेतों में ओस की बूँदें सजती हैं,
गाँव की सुबह में खुशबुएँ ही खुशबुएँ बिखरती हैं।
मुर्गे की बाँग और मंदिर की घंटियाँ,
गाँव की सुबह में बसती हैं अनगिनत खुशियाँ।
सूरज की किरणें जब कच्चे आँगन को छूती हैं,
तो सुबह की रौनक आँखों को मीठी लगती हैं।
गाँव की सुबह का सादापन निराला है,
हर सांस में ताजगी का हवाला है।
जब बैलों की घंटियाँ खेतों में बजती हैं,
तो सुबह की शुरुआत जीवन से भर जाती है।
गाँव की सुबह की मिट्टी की खुशबू,
दिल को छू जाती है बड़ी ही हल्के रू।
सुबह की ताज़ी हवा में गीत बहते हैं,
गाँव में तो सपने भी हरे-भरे लगते हैं।
गाँव की सुबह का उजाला है पवित्र,
यहीं से शुरू होता है दिन का सुंदर चित्र।
चाय की केतली की महक और गपशप,
गाँव की सुबह को बना देती है सबका नसीब।
खेतों में मेहनत का पहला कदम,
गाँव की सुबह में ही उठता हरदम।
गाँव की सुबह का हर पल खास,
ये देता है दिल को आराम और विश्वास।
बच्चों की खिलखिलाहट, बुज़ुर्गों की बातें,
सुबह में मिलती हैं रिश्तों की सौगातें।
सूरज की पहली किरण जब छत पर उतरती है,
तो पूरी दुनिया को नई उम्मीदें भरती है।
गाँव की सुबह है जीवन की जान,
इससे ही बनता है हर इंसान महान।
निष्कर्ष
गाँव की याद शायरी सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं, बल्कि हमारे दिल की गहराइयों से निकली वो भावनाएँ हैं जो हमें बार-बार अपने बचपन और अपनी मिट्टी से जोड़ देती हैं। शहर की चमक चाहे कितनी भी क्यों न हो, लेकिन गाँव की याद हमेशा मन को सुकून और आत्मा को सच्ची राहत देती है।
इन शायरियों में खेतों की खुशबू है, नीम-पीपल की ठंडी छाँव है और बचपन की वो मासूमियत है जो सिर्फ़ गाँव में मिलती है। जब भी मन थक जाए या शहर की भीड़ से ऊब जाए, तो गाँव की याद शायरी हमें उस मिट्टी की ओर खींच ले जाती है जहाँ हमारी जड़ें हैं।
आख़िर में यही कहा जा सकता है कि —
“गाँव की याद सिर्फ़ यादें नहीं, बल्कि हमारी पहचान और जड़ों की सबसे खूबसूरत कहानी है।