कभी-कभी ज़िंदगी में सबसे बड़ा दर्द वहीं से मिलता है, जहाँ हम सबसे ज़्यादा भरोसा करते हैं – अपने परिवार से। परिवार हमारी ताक़त होता है, लेकिन जब वही भरोसा टूटता है तो दिल के अंदर गहरी चोट लगती है। ऐसे ही दर्द और अहसास को शब्दों में बाँधना ही शायरी है। इस ब्लॉग में हम परिवार से धोखा शायरी लेकर आए हैं, जो आपके दिल की तकलीफ़ को हल्के शब्दों में बयां करेगी।
अगर आपके मन में भी परिवार को लेकर कोई मनमुटाव या दुख है, तो सबसे पहले उनसे बात करने की कोशिश करें। खुलकर अपनी भावनाएँ बताना ही रिश्तों को फिर से जोड़ने का पहला कदम होता है। शायरी दिल का दर्द तो कम करती है, लेकिन बातचीत दिलों को फिर से जोड़ सकती है।
परिवार से धोखा शायरी
भरोसा जिनसे सबसे ज़्यादा था वही आज अजनबी हो गए,
परिवार के नाम पर रिश्ते कितने नकली हो गए।
घर की चौखट पर ही टूट गए सारे सपने,
अपने ही निकले बेगाने, औरों से क्या गिले शिकवे।
दर्द वहाँ से मिला जहाँ उम्मीद सबसे ज़्यादा थी,
परिवार का धोखा भी कभी-कभी दुनिया से बड़ा था।
रिश्तों का नाम देकर खेलते रहे वो खेल,
मैंने माना सब अपना, उन्होंने बनाया सब मेल।
घर के आँगन में ही चलने लगे तीर,
अपनों के शब्दों ने कर दिए दिल के लाखों चीरे।
सबसे प्यारे लोग ही सबसे गहरी चोट दे जाते हैं,
अपने ही अपनेपन का नक़ाब पहन कर धोखा दे जाते हैं।
जिनसे सीखा था प्यार और अपनापन निभाना,
वही आज सिखा रहे हैं दिल का दर्द छुपाना।
जब अपनों की नज़रों में आपकी कोई क़ीमत ना रहे,
तो बाहरवालों से क्या उम्मीदें रहें।
घर के लोग ही जब सवाल करने लगें आपकी वफ़ादारी पर,
तो किससे कहें दिल की ये बीमारी।
मैंने घर को मंदिर समझा, रिश्तों को पूजा,
मगर अपनों ने ही दे दिया दिल को सूखा।
जब रिश्ते औक़ात में तौलने लगें,
तब अपने भी गैर से लगने लगें।
दर्द दुनिया का सहा था मगर सहा नहीं गया,
परिवार का दिया घाव कभी भरा नहीं गया।
जिनके लिए दिन-रात सब कुर्बान किया,
उन्हीं ने सबसे बड़ा एहसानिया जुल्म किया।
अपनों की बेरुख़ी सबसे गहरी चोट देती है,
ये चोट उम्रभर की तन्हाई दे देती है।
अपने ही जब अनजान लगने लगें,
तो ज़िंदगी के मायने बदलने लगें।
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परिवार से मिली चोट शायरी
परिवार से मिला प्यार सबसे बड़ा सहारा होता है, लेकिन जब वहीं से चोट मिलती है तो दिल गहराई तक टूट जाता है। इन शायरियों में उसी दर्द और अहसास को शब्द दिए गए हैं, ताकि आप अपने जज़्बात को आसानी से बयां कर सकें।
घर की चौखट पर खड़े रहकर भी हम पराए हो गए,
जिन्हें अपना कहा था वही हमें आज पराया कह गए।
अपने ही चेहरे पर मुस्कान रखकर दर्द देते रहे,
हम हर रोज़ टूटते रहे, वो तमाशा देखते रहे।
रिश्तों की किताब में सबसे पहला नाम परिवार होता है,
लेकिन जब वही धोखा दे, तो हर पन्ना बेकार होता है।
जिन्हें अपना मानकर हमने हर लम्हा कुर्बान किया,
उन्हीं ने हमारे भरोसे को सवाल बना दिया।
दिल के सबसे क़रीब जो लोग होते हैं,
वही कभी-कभी सबसे गहरे ज़ख्म देते हैं।
घर के आँगन में ही अजनबीपन का साया उतर आया,
अपने ही घर में आज हमें बेगाना बनाया।
अपनों की बेरुख़ी सबसे गहरा घाव देती है,
ये चोट उम्रभर की तन्हाई दे जाती है।
जिनसे उम्मीद थी सहारा देने की,
उन्हीं ने हमें गिरते वक़्त धक्का दिया।
रिश्तों के मंदिर में हमने सच्चाई की पूजा की,
मगर अपनों ने ही हमें धोखे की दूजा दी।
घर के लोगों से जब शिकवा करने को जी चाहे,
तो जुबां पर ताले और दिल में तूफ़ान उठ आए।
अपने ही घर में अगर जगह ढूँढनी पड़े,
तो दुनिया में कहां अपनापन मिलेगा।
रिश्तों के नाम पर जब सौदे होने लगें,
तब हर अपना अजनबी सा लगने लगे।
जिन्हें सबसे ज़्यादा मोहब्बत दी,
उन्हीं ने सबसे गहरा धोखा दिया।
परिवार की दीवार जब दरकने लगे,
तो मन के अंदर के आँगन भी सूखने लगें।
अपने ही जब चेहरे पर नक़ाब पहन लें,
तो पहचानते-अपनाते हुए भी अजनबी लगें।
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अपना ही धोखा दे जाए शायरी
जिन्हें सबसे बड़ा सहारा समझा था,
उन्हीं ने सबसे गहरी चोट दी हमें।
जिन्हें अपना समझ कर हर दुःख में पुकारा,
उन्हीं ने सबसे पहले हमारा साथ छोड़ा।
घर के आँगन में ही अब अजनबीपन उतर आया,
अपनों ने ही हमें बेगाना बनाया।
हमने हर रिश्ते को निभाया पूरे मन से,
परिवार के लोगों ने तोड़ा हमें अपनेपन से।
जिन्हें सबसे बड़ा सहारा समझा था,
उन्हीं ने सबसे गहरी चोट दी हमें।
रिश्तों का नाम लेकर हमें भरमाते रहे,
हम सच समझते रहे, वो खेल खेलते रहे।
अपनों के शब्दों से ही दिल टूट जाता है,
बाहर वालों का धोखा तो बस छोटा लगता है।
घर की दीवारें भी अब सुनसान लगती हैं,
जब अपने ही अपने न लगते हैं।
दिल का भरोसा अपनों ने तोड़ा,
अब बाहर वालों से क्या शिकवा करना।
जिन्हें हमारे आंसुओं की क़ीमत पता होनी चाहिए थी,
वो ही हमें रुलाने का सबब बन गए।
रिश्तों की गर्माहट अब ठंडी हो चली है,
घर का सुकून अब वीरान हो चला है।
अपनों ने जो जख्म दिए हैं,
वो वक्त भी नहीं भर पाया।
हमने जिनसे उम्मीदें बांधी थीं,
वहीं से सपनों की डोर टूट गई।
दिल के सबसे करीब लोग ही,
कभी-कभी सबसे दूर हो जाते हैं।
अपनों का धोखा सबसे भारी होता है,
ये उम्रभर की तन्हाई देता है।
जिन्हें घर कहा था वही अब दूरियों का नाम बन गए,
अपनों ने ही हमें गैरों सा मान लिया।
पढ़िए बिखड़ते रिश्तों पर दर्द भरी शायरी
घर के लोगों से धोखा शायरी
घर के लोग हमारा सबसे बड़ा सहारा होते हैं, लेकिन जब वही धोखा देते हैं तो दिल का दर्द और भी गहरा हो जाता है। इन शायरियों में उसी दर्द और अहसास को शब्द दिए गए हैं, ताकि आप अपने मन की बात आसानी से बयां कर सकें।
जिन्हें अपना कहकर हर दर्द सहते रहे,
वही अपने हमें सबसे गहरा घाव देते रहे।
हमने घर को मंदिर समझकर रिश्ते निभाए,
परिवार के लोगों ने ही हमें बार-बार आज़माए।
दिल टूटता है तब सबसे ज़्यादा,
जब अपनों के हाथों ही दिल का खून होता है।
जिनसे उम्मीद थी हमें संभालने की,
उन्हीं ने सबसे पहले छोड़ दिया मुश्किल में।
हम अपनेपन को हर रोज़ दिल से निभाते रहे,
वो अपने ही हमें पराए साबित करते रहे।
रिश्तों की किताब में सबसे पहला नाम उनका था,
धोखे की सज़ा भी सबसे पहले उन्होंने ही दिया।
हमने अपनेपन को पूजा,
मगर अपनों ने हमें धोखे की दूजा दी।
घर के लोगों के हाथों चोट सबसे गहरी होती है,
ये जख्म वक़्त भी नहीं भर पाता।
जिन्हें अपने आँसुओं का भाव पता होना चाहिए था,
वो ही हमें रुलाने की वजह बन गए।
रिश्तों के नाम पर सौदे होते देखे,
अपनों के चेहरे पर नक़ाब होते देखे।
हमने उनका साथ हर बुरे वक़्त में दिया,
मगर उन्होंने हमें अच्छे वक़्त में भुला दिया।
अपनों ने जो ज़ख्म दिए,
वो किसी गैर के ज़ख्मों से भी गहरे थे।
दिल से निभाया परिवार का रिश्ता हमने,
मगर उन्हें बस औक़ात याद रही हमारी।
हमने जिनसे उम्मीदें बाँधी थीं,
वहीं से हमारी सांसें टूट गईं।
घर की दीवारें भी अब परायी लगती हैं,
क्योंकि अपने ही अब अजनबी लगते हैं।
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परिवार के धोखे पर दर्द भरी शायरी
दिल के घाव अब अपनेपन के हाथों से खाए हैं,
हमने परिवार को निभाया, उन्होंने हमें आज़माए हैं।
हमने हर रिश्ते में सच्चाई की लौ जलाई,
अपनों ने ही धोखे की हवा चलवाई।
जिनसे उम्मीद थी हमें थामने की,
वहीं हाथ सबसे पहले फिसल जाते हैं।
घर के आँगन में अब सुकून नहीं मिलता,
अपने ही हमें पराये कहते हैं, मन भी नहीं सिलता।
हमने जिनके लिए अपना सब कुर्बान किया,
उन्हीं ने हमारी सच्चाई का मज़ाक बना दिया।
दिल के मंदिर में हमने अपनों को भगवान माना,
मगर उन्होंने हमें धोखे का प्रसाद खिलाना।
सच बोलकर भी आज हम गुनहगार बने हैं,
अपनों के झूठ में ही सब लाचार बने हैं।
हमने हर रिश्ते को दिल से निभाया,
वही अपने हमें गैर बताकर गए।
जिनसे उम्मीद थी हमारी हिफ़ाज़त की,
वहीं बने हमें दर्द देने वाले।
हमने अपना घर अपना आशियाना समझा,
उन्हीं ने हमें तन्हाई का क़ैदी बना डाला।
दिल के सबसे क़रीब लोग जब चोट दे जाते हैं,
तो बाहर वालों का दर्द भी छोटा लगने लगता है।
रिश्तों के नाम पर अपनों के खेल देखे,
हमने भरोसे की इमारत पर धोखे के मेले देखे।
हमने प्यार निभाया हर बार,
उन्होंने बेवफाई को ही बनाया हथियार।
घर की दीवारों में अब गूंजते हैं शिकवे,
अपने ही हमें छोड़ गए दूर के किनारे।
दिल के जख्म हमने अपनों से खाए,
अब हम दूसरों को क्या दोष लगाएं।
अपनों से मिला धोखा शायरी
अपनों से मिला धोखा सबसे गहरा घाव देता है, क्योंकि भरोसा सबसे पहले उन्हीं पर होता है। इन शायरियों में उसी दर्द और टूटे हुए भरोसे की आवाज़ है, ताकि आप अपने दिल के जज़्बात को आसानी से बयां कर सकें।
जिन्हें अपना समझकर हमने हर दर्द सहा,
उन्हीं ने मेरे ख्वाबों को चूर-चूर कर दिया।
घर की दीवारें अब सन्नाटे सी लगती हैं,
जब अपने ही हों और फिर भी कोई सहारा न रहे।
वो मुस्कान जो चेहरे पर थी, अब परछाईं बन गई,
अपनों की बातों ने ही दिल को तनहा कर दिया।
जिसने कहा था साथ निभाएंगे, वही साथ छोड़ गया,
उसकी बेवफाई ने मेरी रातों को उजाले से दूर कर दिया।
जो हाथ थामने आए थे मुश्किल में,
आज वही हाथ मेरी पीड़ा को और गहरा करते हैं।
रिश्तों के नाम पर जो खेल खेले गए,
उनके निशाँ आज भी मेरी रूह पर जमे हैं।
घर का सुकून भी अब पराया सा लगे,
क्योंकि अपने ही सर आंखों पर वार कर गए।
जब भरोसा टूटता है तो हर याद अजीब हो जाती है,
अपनों की हँसी भी कभी-कभी ज़ख्म में बदल जाती है।
मैंने उन्हें अपना माना, उनसे ही उम्मीदें बाँधी,
पर उन्होंने मेरी उम्मीदों को ही दफन कर दिया।
उनके शब्दों की मीठास ने जहर दे दिया,
अब हर मिठास पर शक रहता है, हर बात पर डर सा रहता है।
जो मेरे आंसू सहलाते थे, आज वही आँसू का कारण हैं,
घर के लोग जब बदल जाएँ तो दुनिया पूरी बदनाम होती है।
हमने घर को अपना आशियाना माना,
पर अपनेपन की छत खोते ही सब कुछ वीरान हुआ।
रिश्तों में धोखा शायरी
रिश्तों की कीमत अब पैसों से तौली जाने लगी,
जहाँ दिलों का सौदा हो वहाँ मोहब्बत नहीं बचती।
जिन्हें अपना कहा था, वही सबसे पराए हो गए,
ज़ख्म गैरों ने नहीं, अपनों ने ही दिए।
हर बार हमने रिश्तों को पूजा समझकर निभाया,
हर बार उन्हीं ने हमें तोड़कर अपना वक़्त बिताया।
हमने सच का रास्ता चुना, उन्होंने झूठ का,
धोखे की चुप्पी ने हमारे भरोसे को मार डाला।
रिश्ते भी अब नकली मुस्कानों में मिलते हैं,
सच्चाई का नाम लोग अब धोखा रखते हैं।हमने अपनेपन में दिल खोलकर रखा,
वही लोग चुपचाप हमारी पीठ में वार कर गए।रिश्तों के नाम पर जो खेल खेला गया,
उसके घाव आज भी मेरे सीने पर ताज़ा हैं।हर रिश्ता अब इम्तिहान सा लगता है,
किसी पर भरोसा करना गुनाह सा लगता है।जिन्हें तकलीफ़ में सहारा समझा,
वही आज हमारी तकलीफ़ के तमाशबीन हो गए।अपनों से मिली शिकस्त सबसे गहरी होती है,
क्योंकि वहाँ उम्मीद सबसे ज्यादा होती है।रिश्ते भी अब बोझ लगते हैं,
जब हर गले मिलने वाला दिल से दूर होता है।धोखा खाने के बाद अब चुप रहना सीखा है,
दिल के ज़ख्म अब मुस्कान में छुपाना सीखा है।हमने जिनकी खुशी में अपना सब कुछ दे दिया,
वही हमारे दर्द में सबसे पहले मुकर गए।रिश्ते निभाना अब डराता है,
क्योंकि हर अपनापन एक दिन दूर जाता है।अपनों के धोखे ने हमें पत्थर बना दिया,
अब हम किसी के सामने टूटते नहीं।
निष्कर्ष
परिवार हमारा पहला सहारा होता है। वहीं से हमें प्यार, अपनापन और सुरक्षा का अहसास मिलता है। लेकिन जब धोखा अपनों से मिलता है तो दिल का दर्द बहुत गहरा हो जाता है। इस दर्द को शायरी के ज़रिए कहना थोड़ा आसान हो जाता है।
अगर आपको भी ऐसा कुछ महसूस होता है तो सबसे पहले अपने परिवार से खुलकर बात करें। हो सकता है बात करने से गलतफहमियाँ दूर हो जाएँ और रिश्ते फिर से जुड़ जाएँ।
शायरी सिर्फ दर्द जताने का तरीका है, लेकिन असली ताकत एक-दूसरे से संवाद करने में है। इसलिए, रिश्तों को बचाने के लिए बात करना कभी मत छोड़िए।